ग्राम पंडरीपानी के प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास में वर्तमान में लौकी, बैंगन, सेम, टमाटर, अदरक, हल्दी, कुंदरू, धनिया, मेथी, पालक, मिर्च, और अरबी-कोचई लगाई गई है, जिसे छात्रावासी बच्चों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। बाजार के रासायनिक उर्वरकों से उत्पादित सब्जियों के बजाय वे स्वयं के द्वारा जैविक खाद से उत्पादित सब्जियों का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उनके सेहत में सुधार आया है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति भावनात्मक जुड़ाव भी हुआ है। इस वाटिका में फलदार पौधे कटहल, मुनगा, केला, पपीता, अमरूद, जामुन, काजू, बादाम, लीची, मौसंबी, चीकू, अनार, बेल, नारियल, आंवला, शहतूत, आम, नींबू, इमली एवं सीताफल इत्यादि के पौधे भी लगाये गए हैं। इसके अलावा सजावटी पौधे भी लगाये गये हैं।
छात्रावास के अधीक्षक भीखम सिंह धु्रवे ने बताया कि छुट्टी के दिन छात्रावासी बच्चों द्वारा पोषण वाटिका में एक घंटा श्रमदान किया जाता है। इसके अलावा छात्रावास के कर्मचारियों द्वारा भी अपना योगदान दिया जाता है। कलेक्टर श्री के.एल. चौहान ने प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास पंडरीपानी के पोषण वाटिका की प्रशंसा करते हुए अन्य सभी आश्रम-छात्रावासों में भी पोषण वाटिका लगाने के निर्देश दिए हैं।
पोषण वाटिका बना आकर्षण का केन्द्र : जैविक खाद से हो रहा है सब्जियों का उत्पादन