कुएं से खेतों की हरियाली बनी जीवन की खुशहाली

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से कृषक हुए लाभान्वित


           कवर्धा, शासकीय योजना से लाभ लेकर तरक्की की राह में आगे बढ़ने की यह कहानी है, कृषक राजेन्द्र बिसेन और उसके परिवार की है, जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जीवन्त होने को दर्शाता हैै। जिला मुख्यालय कबीरधाम से लगभग 80 किलोमीटर दूर विकासखण्ड बोड़ला के वनांचल गांव तितरी की यह कहानी किसी भी व्यक्ति को प्रभावित करेगी। राजेन्द्र बिसेन अपने परिवार के साथ 4 एकड़ भूमि में कभी काम किया करते थे। उनका अपना स्वयं का एक पुराना कुआं है, जिसमे पानी तो थी लेकिन पानी खिचने के लिए कोई आधुनिक साधन नहीं होने के कारण खेती का काम एक सपना मात्र था। राजेन्द्र बिसेन युं तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में जॉब कार्ड नंबर-002-055-001/301 में पंजीयन होकर काम करते थे। समय के साथ योजना में हितग्राही मूलक कार्य आ जाने से इनको बहुत लाभ हुआ।


            ग्रामसभा में जाना, शासकीय योजना के लिए गांव में होने वाले जागरूकता कार्यक्रम में बैठकर बाते सुनने से मानों इन्हें तरक्की की नयी राह मिल गई। भूमि सुधार, शौचालय, कूप निर्माण जैसे बहुत से काम के बारे में इनकी जागरूकता बढ़ गई। सचिव द्वारा नक्शा खसरा के साथ काम स्वीकृति के लिए आवेदन दिया गया। अपने खेत का समतलीकरण करने भूमि सुधार का काम 45 हजार रूपये की लागत से रोजगार गारंटी योजना से इनको मिल गया। जिसके कारण उबड़-खाबड़ जमीन को किषक योग्य बना लिया गया और साथ में मिला इस काम की मजदूरी। राजेन्द्र बिसेन ने खेती करने की तो सोची लेकिन पानी का अभाव उनके रास्ते का अड़चन बन गया। अपनी समस्या को लेकर जब वें सरपंच, सचिव से मिले तो उन्हे पता चला की अपने खेतो की सिंचाई के लिए कूप निर्माण करा सकते है। 2.02 लाख रूपये की लागत से इनके बाड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा योजना क्रेडा से कुआं निर्माण का कार्य अभिसरण से स्वीकृत हो गया। लगभग 40 फीट की गहराई वाले इस कुएं में 10 से 12 फीट में ही पानी आ गया। राजेन्द्र बिसेन के जीवन में चमत्कार तो तब हुआ जब उस कुएं से पानी निकालने के लिए मात्र 15 हजार की लागत लगाकर सौर-सुजला योजना के तहत 2.5 लाख रूपये का सोलर पैनल 2 एचपी पम्प पाईप फीटिंग के साथ मिल गया। पूरे दिन भर पानी वो भी पम्प से लेकर खेतो की सिंचाई करना बिना बिजली का बील दिये बड़ी उपलब्धि थी। खेतों की हरियाली जीवन की खुशहाली में बदलते देर नहीं लगी।


            घर की बाड़ी में बने कुएं ने रोजगार के अवसर दे दिये। 63 हजार से अधिक का मजदूरी भुगतान इस काम मिल गया। और लगभग 400 मानव दिवस का रोजगार राजेन्द्र बिसेन के परिवार तथा अन्य ग्रामीणों को मिल गया। गोभी, भाटा, टमाटर, पालक भाजी, लाल भाजी, प्याज, आलू, लहसुन, मिर्च और सरसों सहित मौसम की सभी सब्जियां घर की बाड़ी में लहलहा रहीं है। जहां कभी रोजी मजदूरी करना काम हुआ करता था अब इनका परिवार आत्मनिर्भर हो गया है। घर की जरूरते घर की बाड़ी पूरी कर रही है। श्रीमती चम्पा बाई पति राजेन्द्र बिसेन कहती है की रोजगार गारंटी योजना ने हमको आत्मनिर्भर बना दिया। कुआं तो हमारा अपना एक छोटा-सा था लेकिन सिंचाई करने के लिए कोई साधन नहीं था और कुएं में उतना पानी भी नहीं था। नया कुआं और उस पर मिले सौर-सूजला के पम्प ने हमारे सारे अड़चनों को दूर कर दिया। कुआं और सौर सुजला के लिए 4.70 लाख रूपये सरकार की ओर से मिल गये जिसमें हमे अपने अंशदान के रूप में सिर्फ 15 हजार रूपये लगा। मेरे बेटा-बहू, मैं और हमारे घर के सभी लोग अपने खेत में साल भर काम कर रहे है। खरीफ के मौसम में धान की बुआनी कुएं की सहायता से किया गया और अभी रबि की फसल के साथ साग-सब्जी ले रहे है।


            श्री विकेश बिसेन पिता राजेन्द्र बिसेन बताते है की धान का फसल बहुत अच्छा हुआ पानी और सिंचाई की सुविधा होने से जैसे कोई चमत्कार हो गया हो। विकेश बताते है की प्रत्येक सप्ताह गांव से 4 किमी दूर शनिवार को समनापूर का साप्ताहिक बाजार लगता है जिसमें वे घर पर उत्पादित सब्जियों को बेचते है। प्रत्येक सप्ताह 500-700रूपये की आमदनी हो रही है। बाड़ी में लगी सब्जी आने वाले 4-5 महिने के लिए पर्याप्त है जो मुझे पूरी आमदनी दे देगा। पहले सिंचाई का साधन नहीं होने से हम सब्जियाँ नहीं लगा पाते थे। लेकिन अब साथ ही साथ घर में भी सब्जियों की आपूर्ति हो रही है, सब्जियों से अच्छी आमदनी हो रही है। निश्चित ही राजेन्द्र को उनके काम से हुआ लाभ रोजगार गारंटी योजना के सार्थक होने का प्रमाण है।